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एम्स ऋषिकेश द्वारा विश्व प्रिमैचुअर्टी अवेयरनेस माह के अंतर्गत नवंबर में विविध जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें साइक्लोथॉन, पब्लिक टॉक, स्लोगन लेखन, क्विज, पोस्टर, स्टोन पेंटिंग और फोटोग्राफी प्रतियोगिताएं शामिल रहीं। समापन समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को विशेष बनाया।
मुख्य अतिथि एम्स निदेशक एवं सीईओ प्रो. (डॉ.) मीनू सिंह ने कहा कि संस्थान में प्रिमैचुअर शिशुओं की देखभाल की गुणवत्ता में निरंतर सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि समय से पहले जन्मे बच्चे भविष्य में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल कर सकते हैं और समाज को इस विषय पर अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है।
नवजात देखभाल को सुदृढ़ करने हेतु एम्स में कई सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं, जिनमें वृहद मिल्क बैंक, मदर-एंड-चाइल्ड सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, मदर-नियोनेटल ICU, Tele-NICU और Tele-PICU शामिल हैं।
कार्यक्रम में चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ. बी. सत्याश्री, संकायाध्यक्ष (अकादमिक) प्रो. डॉ. जया चतुर्वेदी एवं अन्य वरिष्ठ संकाय सदस्यों ने प्रिमैचुअर शिशुओं की माताओं के मनोबल और देखभाल के अनुभव साझा किए। नवजात शिशु विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. श्रीपर्णा बासु ने 571 ग्राम वजन वाले और गंभीर स्थिति वाले शिशुओं को बचाने की उपलब्धि के बारे में जानकारी दी।
आठ विभिन्न प्रतियोगिताओं में छात्रों, नर्सिंग ऑफिसर्स और चिकित्सकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। साइक्लोथॉन, बेसिक NRP ट्रेनिंग, जनसंवाद कार्यक्रम और सांस्कृतिक प्रस्तुति जैसे आयोजन विशेष आकर्षण रहे।
समारोह में नियोनेटोलॉजी, नर्सिंग और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम ने प्रिमैचुअर शिशुओं की देखभाल एवं जनजागरूकता को नई दिशा देने का कार्य किया।
Reported By: Arun Sharma












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