पांच सप्ताह की विदेश यात्रा के बाद परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस की अंतरराष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी का निकेतन परिवार ने वेदमंत्रों, शंखध्वनि और पुष्पवर्षा से भावपूर्ण स्वागत किया। नन्हे ऋषिकुमारों के आनंद और भक्ति से वातावरण दिव्यता और कृतज्ञता से भर उठा।
हिन्दी दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन में विश्वप्रसिद्ध गंगा आरती के माध्यम से हिन्दी की महत्ता का संदेश दिया गया। स्वामी जी ने कहा कि “हिन्दी हमारी संस्कृति, आत्मा और पहचान की अभिव्यक्ति है, यह हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखने वाला सेतु है।” उन्होंने चेताया कि यदि नई पीढ़ी को हिन्दी और संस्कृत से नहीं जोड़ा गया तो वे अपनी मूल संस्कृति से कट जाएँगे।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने अपनी हिन्दी सीखने की अद्भुत यात्रा साझा की। अमेरिका से भारत आने के बाद उन्होंने गंगा तट पर रहते हुए हिन्दी को आत्मसात किया और आज इसे अपने हृदय की भाषा मानकर विश्वभर में संदेश देती हैं। उनके अनुसार हिन्दी केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति और आध्यात्मिकता की अभिव्यक्ति है।
विश्व मंचों पर स्वामी जी और साध्वी जी ने हिन्दी के माध्यम से योग, ध्यान, गंगा संरक्षण और वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। परमार्थ निकेतन का वातावरण आज यह संदेश दे रहा था कि चाहे हम कहीं भी हों, हमारी असली पहचान हमारी मातृभाषा और सनातन संस्कृति में ही निहित है।
Reported By: Arun Sharma













Discussion about this post