जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि राज्य गठन की रजत जयंती मनाने की तैयारियों के बीच राज्य निर्माण का असली उद्देश्य अब भी अधूरा है। उन्होंने कहा कि जिन आंदोलनकारियों के संघर्ष से उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ, वही आज चिन्हीकरण की कठोर शर्तों के कारण उपेक्षित हैं।
नेगी ने बताया कि सरकार द्वारा चिन्हीकरण के लिए एफआईआर, मेडिकल सर्टिफिकेट, जिलाधिकारी या एलआईयू की रिपोर्ट जैसे कड़े मानक तय किए गए हैं, जिनकी वजह से कई वास्तविक आंदोलनकारी सूची से बाहर रह गए हैं। उन्होंने इसे आंदोलनकारियों के साथ अन्याय बताया।
मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि 25 वर्षों में राज्य की स्थिति बिगड़ी है — भ्रष्टाचार चरम पर है, रोजगार के अवसर घटे हैं और योग्य युवा मामूली वेतन पर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि “जो लोग प्रधान बनने लायक भी नहीं थे, वे मंत्री और विधायक बन गए, जबकि असली कर्मठ लोग दरकिनार कर दिए गए।”
नेगी ने कहा कि उत्तराखंड के मूल निवासी आज भी शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। पहाड़ों की जमीनें महंगे दामों पर बिक रही हैं और पलायन लगातार बढ़ रहा है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि चिन्हीकरण मानकों में शीघ्र ढील नहीं दी गई, तो जन संघर्ष मोर्चा आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष, रघुनाथ सिंह नेगी
Reported By: Arun Sharma












Discussion about this post