परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में डीएसबी इंटरनेशनल स्कूल और विदेशी छात्रों के दल ने विश्वविख्यात गंगा आरती में सहभाग कर भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का सजीव अनुभव प्राप्त किया। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती से भेंट के दौरान छात्रों ने जीवन, अनुशासन और आत्मसंयम से जुड़े प्रश्नों का समाधान पाया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि शिक्षा केवल जानकारी का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने का साधन है। उन्होंने शिक्षा और विद्या के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि विद्या मनुष्य को विनम्र, संवेदनशील और जागरूक बनाती है। डिजिटल युग में सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग पर बल देते हुए उन्होंने मोबाइल फास्टिंग और डिजिटल डिटॉक्स अपनाने की सलाह दी।
उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि संयम, धैर्य और विनम्रता जीवन की सच्ची सम्पन्नता है। शुद्ध आहार, शुद्ध विचार और सरल व्यवहार को जीवन का आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि सफलता, प्रसन्नता और प्रपन्नता का संतुलन ही जीवन को सार्थक बनाता है। भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर आधुनिकता के साथ अध्यात्म का संगम करने पर जोर दिया गया।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि अपने भीतर के सत्य को पहचानना है। करुणा, शांति और स्थिरता से हर चुनौती का सामना संभव है।
गंगा तट पर दीपों की रोशनी, मंत्रोच्चार और श्रद्धा के माहौल ने सभी छात्रों को अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया, जिसे उन्होंने जीवन भर याद रखने योग्य क्षण बताया।
Reported By: Arun Sharma












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