परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज का चैटानूगा, टेनेसी (अमेरिका) स्थित सनातन मंदिर में आत्मिक स्वागत हुआ। इस अवसर पर स्वामी जी ने भारतीय अप्रवासी समुदाय, विशेषकर युवाओं और परिवारों से आत्मीय संवाद करते हुए उन्हें अपनी जड़ों, भाषा, मूल्यों और संस्कृति से जुड़े रहने का संदेश दिया।
स्वामी जी ने कहा, “जहाँ भी जाओ, जड़ों को मत भूलो। भारत को सिर्फ याद न करें, बल्कि जिएं। भारत एक भौगोलिक भूमि नहीं, बल्कि संस्कारभूमि है।” उन्होंने आधुनिकता और आध्यात्मिकता के संतुलन पर बल देते हुए युवाओं को प्रेरित किया कि वे भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं को गर्व से अपनाएं।
इस अवसर पर उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे बच्चों को हिंदी, श्लोकों, पर्वों और भारतीय मूल्यों से जोड़ें, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी पहचान और संस्कृति से न कटें। उन्होंने कहा, “मोबाइल से पहले संस्कृति की कनेक्टिविटी ज़रूरी है।”
इस दिव्य कार्यक्रम में स्वामी जी के पावन सान्निध्य में ‘हिंदू धर्म विश्वकोश’ के 11 खंडों की स्थापना भी की गई, जो सनातन धर्म की गहराई और विविधता को दर्शाता है। यह स्थापना अमेरिका में भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल रही।
लगभग 20 वर्षों बाद चैटानूगा में स्वामी जी का सान्निध्य प्राप्त कर प्रवासी भारतीय परिवार भावविभोर हो उठे। उनका यह प्रवास भारतीय संस्कृति के संरक्षण और प्रसार का जीवंत संदेश बन गया।
Reported By: Arun Sharma













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