23 जुलाई भारतीय इतिहास का वह स्वर्णिम दिन है, जब भारत माता के वीर सपूत चन्द्रशेखर आजाद का जन्म हुआ। मात्र 24 वर्ष की आयु में शहीद हुए आजाद, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे अग्रणी योद्धा थे जिन्होंने अपने साहस, स्वाभिमान और बलिदान से सम्पूर्ण राष्ट्र को प्रेरित किया। उनका जीवन आज भी युवाओं के लिए एक ज्वलंत प्रेरणा है। “मैं आज़ाद था, आज़ाद हूँ और आज़ाद ही रहूँगा”—यह उनका जीवनमंत्र था।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आजाद की जयंती को एक चेतावनी और आह्वान बताया। उन्होंने कहा कि यह दिन केवल अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि वर्तमान की ज़िम्मेदारी और भविष्य की दिशा है। आज के युवाओं को नशे, अपसंस्कृति और आत्मकेंद्रित जीवन से ऊपर उठकर आज़ाद जैसे आदर्शों को अपनाना होगा।
साथ ही, महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर स्वामी जी ने भगवान शिव के संदेश को साझा करते हुए कहा कि शिव केवल संहारक नहीं, बल्कि सृष्टि, संतुलन और करुणा के प्रतीक हैं। शिव की साधना आत्मिक जागरण का माध्यम है। आज, जब प्रकृति संकट में है, पर्यावरण असंतुलन चरम पर है, तब हमें शिव से प्रेरणा लेकर ‘नीलकंठ’ बनना होगा—अपने स्वार्थों को त्यागकर समाज व प्रकृति की रक्षा करनी होगी।
महाशिवरात्रि और चन्द्रशेखर आजाद की जयंती—दोनों अवसर भारत की आत्मा को जगाने का संदेश हैं। आइए, हम सभी संकल्प लें कि राष्ट्र, धर्म और प्रकृति की सेवा में अपने जीवन को अर्पित करेंगे और आज़ाद के सपनों का भारत बनाएंगे।
Reported By: Arun Sharma













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