आज का भारत वैश्विक चुनौतियों, मूल्य संकट और सामाजिक विघटन के बावजूद सनातन धर्म के माध्यम से अपने आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रधर्म के मूल्यों को पुनर्जीवित कर रहा है। राजधानी से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक चल रही सनातन हिन्दू एकता यात्रा इसी प्रयास का प्रतीक है।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने इस यात्रा को बदलाव और जोड़ने की यात्रा बताया, जो किसी पर थोपने या विरोध करने की नहीं बल्कि नए विचार, सहयोग और जागरूकता फैलाने की है। उन्होंने कहा कि भारत केवल भूभाग नहीं बल्कि एक जीवित आध्यात्मिक चेतना है, जो विविधता को संघर्ष नहीं बल्कि उत्सव मानती है।
यात्रा के माध्यम से राष्ट्रचेतना, भारतीय संस्कृति, गौरव और आध्यात्मिक शिक्षा को प्रखर किया जा रहा है। स्वामी जी ने बताया कि सनातन धर्म आत्मा, करुणा, सत्य और कर्तव्य का मार्ग दिखाता है, जबकि राष्ट्रधर्म संगठन, अनुशासन और मातृभूमि-सेवा का संदेश देता है। जब ये दोनों मिलकर प्रवाहित होते हैं, तो राष्ट्र सशक्त, सभ्य और प्रगतिशील बनता है।
आज विश्वभर में योग, आयुर्वेद और भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रसार से स्पष्ट होता है कि सनातन का उदय विश्वकल्याण का उदय है। यह पदयात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए आशा, शक्ति और सद्गुणों का मार्ग बनेगी और भारत को उसके गौरवशाली, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल स्रोतों से जोड़ती रहेगी।
Reported By: Arun Sharma












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