उत्तरकाशी, धराली, पौड़ी के बुरांसी और बांकुड़ा गांवों में अतिवृष्टि व भूस्खलन से हुई भीषण त्रासदी पर परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि हमारी सहनशीलता और मानवीय संवेदनाओं की परीक्षा है।
विदेश प्रवास से भेजे संदेश में स्वामी जी ने पीड़ितों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, दवाइयां, कंबल, तिरपाल और प्राथमिक चिकित्सा की अत्यंत आवश्यकता है। केन्द्र-राज्य सरकार और सेनाएं दिन-रात राहत कार्य कर रही हैं, पर सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने में सहयोग करें।

उन्होंने देश-विदेश के श्रद्धालुओं, संगठनों और प्रवासी भारतीयों से आर्थिक, सामग्री और प्रार्थना के रूप में योगदान देने का आह्वान किया। स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड की आत्मा अडिग है, संस्कृति अजेय है और यह धरती बार-बार टूटकर भी मजबूत होकर खड़ी होती है। परमार्थ निकेतन में सेवा परंपरा के तहत जरूरतमंदों के लिए प्रतिदिन तीनों समय भंडारा आयोजित किया जा रहा है।
Reported By: Arun Sharma











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