परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में आज स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद और वीर क्रांतिकारी खुदीराम बोस को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती ने विश्व शांति यज्ञ में विशेष आहुतियां समर्पित कर इन तीनों महान विभूतियों को नमन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय संस्कृति और विनम्रता के प्रतीक थे। सन 1954 में परमार्थ निकेतन आगमन के दौरान उनकी सरलता और सात्विकता ने सभी को प्रभावित किया। उनका जीवन देश, धर्म और मानवता की सेवा का आदर्श रहा।
मेजर ध्यानचंद की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए स्वामी जी ने कहा कि उनका खेल कौशल भारतीय युवा शक्ति के लिए प्रेरणा है। उन्होंने देश का मान विश्वभर में बढ़ाया और खेल को अनुशासन और राष्ट्रसम्मान से जोड़कर दिखाया।
अमर शहीद खुदीराम बोस की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए स्वामी जी ने कहा कि 18 वर्ष की आयु में किया गया उनका अद्वितीय बलिदान देशप्रेम का सर्वोत्तम उदाहरण है। उनका संदेश था—“देश सबसे ऊपर है।”
कार्यक्रम में सभी ने इन महान विभूतियों के आदर्शों को अपनाने और भारत को सशक्त, संस्कारित व आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया।
Reported By: Arun Sharma












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