एसडीसी फाउंडेशन की उत्तराखंड डिज़ास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (उदय) की जुलाई 2025 रिपोर्ट ने राज्य में जलवायु परिवर्तन और मानवीय कारणों से उत्पन्न आपदाओं में चिंताजनक वृद्धि को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, वाडिया इंस्टीट्यूट के अध्ययन में 426 ग्लेशियल झीलों में से 25 झीलें अत्यंत खतरनाक स्थिति में हैं, जो ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड का गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं।
चमोली जिले में भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन ने 115 से अधिक सड़कें बंद कर दीं और घरों व कृषि भूमि को नुकसान पहुंचाया। धुर्मा गांव में बादल फटने से घर तबाह हुए और नदी का बहाव बदल गया। चार धाम और हेमकुंड साहिब मार्ग पर भूस्खलन की स्थिति गंभीर हो गई।
रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई कि केदारनाथ के पास चोराबाड़ी ग्लेशियर हर साल 7 मीटर पीछे हट रहा है, जिससे भविष्य में झील फटने का खतरा बढ़ रहा है। मानवजनित त्रासदियों में पिथौरागढ़ में वाहन हादसा और हरिद्वार मनसा देवी मंदिर में भगदड़ में 16 लोगों की मौत शामिल हैं, जिससे आपातकालीन तैयारी और भीड़ प्रबंधन की खामियां उजागर हुईं।
तोताघाटी और चार धाम हाईवे के असुरक्षित हिस्से भी खतरे में हैं, जहां भूस्खलन और चट्टानों में दरारों से गढ़वाल का बड़ा हिस्सा महीनों तक कट सकता है।
एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड में आपदाएं अब अलग-थलग घटनाएं नहीं रह गई हैं और जलवायु परिवर्तन व मानवजनित कमजोरियों के चलते तत्काल कदम उठाना आवश्यक है। रिपोर्ट ने अर्ली वार्निंग सिस्टम, ग्लेशियर मॉनिटरिंग, ढलानों की स्थिरता, भीड़ प्रबंधन प्रोटोकॉल और बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं पर सख्त अनुपालन की आवश्यकता पर जोर दिया।
यह उदय का 34वां मासिक संस्करण है, जो अक्टूबर 2022 से लगातार जारी है और उत्तराखंड में आपदा जोखिम न्यूनीकरण और जागरूकता बढ़ाने का उद्देश्य रखता है।
Reported By: Praveen Bhardwaj












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