नोएडा स्थित ऊपरी यमुना नदी बोर्ड भवन में आयोजित 9वीं रिव्यू कमेटी बैठक में उत्तराखंड के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने राज्य के हितों को मजबूती से रखा। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने की, जिसमें यमुना नदी से जुड़े जलस्तर, प्रदूषण नियंत्रण और जल-बंटवारे जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।
सतपाल महाराज ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में सिंचाई की कमी के कारण नकदी फसलों, फल और सब्जियों की उत्पादकता प्रभावित होती है, जिससे पलायन की समस्या बढ़ रही है। उन्होंने मांग रखी कि उत्तराखंड को उसकी वास्तविक आवश्यकता के अनुसार यमुना जल आवंटित किया जाए।
उन्होंने याद दिलाया कि 1994 के जल-बंटवारे समझौते और 2024 की 8वीं रिव्यू कमेटी बैठक में प्रदेश को मांग से 32% कम जल मिला था। उन्होंने 2025 के बाद इस समझौते की समीक्षा कर उत्तराखंड के हिस्से को न्यायसंगत तौर पर तय करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
महाराज ने यह भी कहा कि लखवाड़ और किशाऊ परियोजनाओं के प्रभावों का सामना भी उत्तराखंड को करना पड़ेगा, ऐसे में जल आवंटन में राज्य के हितों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। साथ ही उन्होंने दिल्ली और हरियाणा क्षेत्र में यमुना जल के बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए फैक्ट्रियों को अमोनिया-विशिष्ट ट्रीटमेंट तकनीक अपनाने की सलाह दी, ताकि प्रदूषित जल नदी में जाने से पहले शुद्ध किया जा सके।
बैठक में उत्तराखंड के पक्ष को मजबूती से रखने के साथ ही आने वाले समय में जल आवंटन पर पुनर्विचार की उम्मीद भी जताई गई।
Reported By: Arun Sharma












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