हिंदी दिवस (14 सितम्बर) के अवसर पर देहरादून स्थित आईआरडीटी सभागार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान समारोह’ में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखंड भाषा संस्थान के माध्यम से बिखरे हुए साहित्य के संरक्षण-संकलन के साथ-साथ स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण पर ठोस कार्य कर रही है।
समारोह में साहित्यकार शैलेश मटियानी, गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’, शेरदा अनपढ़, हीरा सिंह राणा को मरणोपरांत तथा सोमवारी लाल उनियाल और अतुल शर्मा को जीवित रहते हुए दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि इस सम्मान के तहत साहित्यकारों को ₹5 लाख की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।
उन्होंने साहित्य को समाज का दर्पण बताते हुए कहा कि साहित्यकार समाज की संवेदनाओं के मार्गदर्शक हैं। मुख्यमंत्री ने हिंदी और उत्तराखंड की समृद्ध साहित्यिक परंपरा का उल्लेख कर सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, शिवानी, गिर्दा, शैलेश मटियानी जैसे रचनाकारों को श्रद्धांजलि दी।

सरकार द्वारा नई पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए रचनात्मक लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित की जा रही हैं, जिनमें 100 से अधिक युवा रचनाकारों को सम्मानित किया गया है। इस अवसर पर 176 मेधावी विद्यार्थियों और बीते दो वर्षों में 62 साहित्यकारों को पुस्तक प्रकाशन हेतु अनुदान भी प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य में दो ‘साहित्य ग्राम’ स्थापित किए जाएंगे ताकि उत्तराखंड को साहित्यिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सके। उन्होंने आह्वान किया कि साहित्यकार हिंदी और भारतीय भाषाओं को वैश्विक पहचान दिलाने में अपनी सृजनात्मकता से योगदान दें।
Reported By: Praveen Bhardwaj












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