भारत-नेपाल सीमा पर चम्पावत, उत्तराखंड में स्थित शारदा बैराज पर भारी बारिश के कारण रेड अलर्ट जारी किया गया है। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के चलते शारदा नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।
वर्तमान स्थिति:
शारदा बैराज से 1 लाख क्यूसेक से अधिक पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है, जिसके कारण निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
बैराज पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई है। आपातकालीन स्थिति में केवल दोपहिया वाहनों को अनुमति दी जा रही है।
जिला प्रशासन ने बाढ़ से निपटने के लिए राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। स्थानीय अधिकारियों और आपदा प्रबंधन टीमों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
उत्तराखंड के बनबसा, खटीमा और उत्तर प्रदेश के बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर, सीतापुर जैसे क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं, जहां जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
शारदा बैराज पर शारदा जल स्तर से इन जगहों पर होता है असर पड़ता है
पीलीभीत में शारदा नदी के किनारे बसे गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है, और पॉलेज की फसलें डूबने की आशंका है।
चम्पावत के टनकपुर क्षेत्र में पूर्णागिरी मंदिर मार्ग भारी मलबे और पत्थर गिरने से बंद हो गया है।
प्रशासन ने स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और राहत शिविर स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
प्रशासनिक कार्रवाई:
चम्पावत के बनबसा बैराज के कर्मियों ने बताया कि स्थिति सामान्य होने तक वाहनों की आवाजाही पर रोक रहेगी, और आपदा प्रबंधन के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
बाढ़ नियंत्रण कक्ष और स्थानीय लेखपालों को नदी किनारे के गांवों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
आपको बताते चले कि शारदा बैराज, 1928 में निर्मित, 598 मीटर लंबा है और इसमें 34 गेट हैं। यह उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश तक शारदा नहर के माध्यम से 22 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई करता है। बैराज की जल सहन क्षमता 6 लाख क्यूसेक है, और 2013 की आपदा में 5.44 लाख क्यूसेक पानी दर्ज किया गया था, जिससे बैराज को नुकसान हुआ था।
सावधानी: स्थानीय निवासियों से नदी किनारे न जाने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य जोरों पर हैं।












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