देहदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें देहदान करने वाले महान व्यक्तियों के परिजनों को सम्मानित कर उनका अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा में देहदान अत्यंत महत्वपूर्ण है और इससे बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता।
कार्यक्रम के दौरान संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने अंगदान व देहदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मृत्यु के बाद भी व्यक्ति देहदान कर समाज की सेवा करता है। उन्होंने बताया कि ब्रेन डेड व्यक्ति के अंग कई लोगों का जीवन एक साथ बचा सकते हैं, इसलिए समाज में जागरूकता की अत्यंत आवश्यकता है। डीन एकेडेमिक प्रो. जया चतुर्वेदी और अन्य विशेषज्ञों ने भी देहदान की बढ़ती आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम की समन्वयक प्रो. डॉ. रश्मि मल्होत्रा ने बताया कि अब तक 97 लोग एम्स मेडिकल कॉलेज को अपना शरीर दान कर चुके हैं। दधीचि देहदान समिति उत्तराखंड के महासचिव नीरज पांडेय ने देहदान को सर्वोच्च धर्म बताते हुए इसकी अनिवार्यता समझाई और समाज में फैली भ्रांतियों को दूर किया। महंत लोकेश दास ने प्राचीन ऋषि परंपरा का उल्लेख करते हुए देहदान को महान मानवीय संकल्प बताया।
कार्यक्रम में 10 से अधिक देहदानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। एमबीबीएस छात्रों ने कैडेवरिक शपथ लेकर मानव शरीर के सम्मान और चिकित्सा सेवा में निष्ठा का संकल्प लिया।
Reported By: Arun Sharma












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