क्राइम पेट्रोल: बीते कुछ दिन पूर्व उत्तराखण्ड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर उत्सुकताएं तेज़ थी, सभी पक्ष विपक्ष अपने दावेदारों के जीत को लेकर प्रयत्नशील थें, वही पंचायत चुनाव संपन्न होते ही 31 जुलाई को मतगणना के बाद शासन ने शुक्रवार को जिला पंचायत के अध्यक्ष पदो पर आरक्षण को निर्धारण कर अंतिम अधिसूचना भी जारी कर दी है, वही छह जिलों की पंचायत की डोर महिलाये संभालेंगी, यानी के अध्यक्ष के पांच पद सामान्य महिला व एक पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित किया गया है, सामान्य रूप से कहे तो चार पद अनारक्षित, एक पद अनुसूचित जाति व एक पद अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित किये गए हैं, जिसको लेकर वहां अध्यक्ष पद पर तैयारी कर रहे कई प्रत्याशियों की भावनाओं को भी झटका लगा है..
वही इस फैसले को लेकर राजनितिक सरगर्मियां भी तेज़ सी हो गयी है, विपक्ष इस फैसले से नाराज़ होतानज़र आ रहा है, कई विपक्षी दलों ने अध्यक्षों पद पर जारी आरक्षण को लेकर सवाल भी उठाये है, कांग्रेस प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट का कहना है जनता बदलाव चाहती थी, और जनता ने इस पंचायत चुनाव में कांग्रेस को पूरा आशीर्वाद दिया है क्योंकि भाजपा के पास चालबाजी के अलावा कोई रास्ता नही है, कांग्रेस ने आरक्षण को लेकर पहले भी मांग की लेकिन भाजपा इंतज़ार कर रही थी चुनाव खत्म होने का और जैसे ही चुनाव में भाजपा को हार दिखी तो मनमाना आरक्षण अध्यक्षों की सीटों पर कर दिया, पुरी पंचायती राज एक्ट की धज्जियां भाजपा ने उड़ाई है वही उत्तराखंड क्रांति दल के प्रवक्ता ने भी बताया की यह आरक्षण की नीति मतदान से पहले होनी चाहिए थी, सरकार की मंशा ठीक नही है वह कही न कही इससे लोकतंत्र को भी ठेस पहुंची है, सरकार ने अपने हिसाब से ये सब कार्य किया जो की दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
विपक्षी दलो की दलीलो पर तंज कसते हुए भाजपा प्रदेश प्रवकता का कहना है की सरकार ने सही ढंग व पारदर्शिता से यह निर्णय लिया है, 12 सीटों में महिलाओं, पिछड़ा वर्ग अन्य सभी को प्रतिनिधित्व मिले ऐसा इस आरक्षण में देखने को मिला है।
शीशपाल बिष्ट, प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस
विजय बौराई, प्रवक्ता, युकेडी
कमलेश रमन, प्रदेश प्रवक्ता , भाजपा












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