देहरादून स्थित दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र में “जलवायु परिवर्तन और उत्तराखंड के पर्वतीय समुदायों के मायने” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस कार्यशाला का संयोजन उत्तराखंड सेवा निधि पर्यावरण शिक्षा संस्थान, अल्मोड़ा और दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यशाला में हिमालयी पारिस्थितिकी, शहरीकरण, ग्रामीण आजीविका और जलवायु परिवर्तन के आपसी संबंधों पर गहराई से चर्चा की गई। डॉ. ललित पाण्डे और श्रीमती अनुराधा पाण्डे ने क्षेत्रीय अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों को प्रस्तुत किया, जो अल्मोड़ा में हरित-आर्थिक विकास और उत्सर्जन की पड़ताल करता है।
कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में ऊर्जा संक्रमण, सौर ऊर्जा, शहरीकरण, जलवायु संवेदनशीलता और नीति-निर्माण जैसे विषयों पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए स्थानीय अनुभवों पर आधारित अनुसंधान और समुदाय-आधारित समाधान बेहद आवश्यक हैं।

डॉ. ललित पाण्डे ने कहा कि इस मंच का उद्देश्य अध्ययन, नीति और व्यवहार के विशेषज्ञों को एकजुट कर जलवायु संकट के प्रति संवेदनशील पर्वतीय समुदायों के अनुभवों को केंद्र में लाना है। कार्यशाला की अध्यक्षता क्रमशः प्रो. बी.के. जोशी, श्री राज शेखर जोशी, श्री एन. रविशंकर और श्री इन्दु कुमार पांडे (पूर्व मुख्य सचिव) ने की।
कार्यक्रम में उत्तराखंड पलायन आयोग के अध्यक्ष एस.एस. नेगी भी उपस्थित रहे। यह कार्यशाला न केवल हिमालयी क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी पर ध्यान केंद्रित करती है, बल्कि स्थानीय समुदायों को सहभागी बनाकर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक प्रभावी संवाद स्थापित करने का प्रयास भी है।
Reported By: Shiv Narayan












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