एम्स ऋषिकेश में ‘हैंड्स ऑन वर्कशाॅप फाॅर डायग्नोस्टिक टेक्नीक ऑफ जूनोटिक एण्ड वायरल पैथोगन’ विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शोधार्थियों और छात्रों को जूनोटिक एवं वायरल रोगों की पहचान के लिए उन्नत डायग्नोस्टिक तकनीकों में व्यावहारिक प्रशिक्षण देना था।
नेशनल वन हेल्थ प्रोग्राम और वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी के संयुक्त तत्वावधान में हुई इस कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कहा कि मानव, पशु और पर्यावरण के स्वास्थ्य को एक साथ देखना समय की आवश्यकता है। कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने वन हेल्थ अवधारणा पर बल देते हुए इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने वाला कदम बताया।

डीन (रिसर्च) प्रो. शैलेन्द्र हांडू ने जूनोटिक व वायरल रोगों को वैश्विक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बताया। वहीं माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. योगेन्द्र प्रताप माथुरिया और अन्य विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को ईएलआईएसए, पीसीआर, आरटी-पीसीआर समेत नवीनतम तकनीकों, गुड लैबोरेटरी प्रैक्टिस और वायरल संक्रमण नियंत्रण की वैज्ञानिक पद्धतियों पर प्रशिक्षण दिया।
इस कार्यशाला में विभिन्न राज्यों से आए एम.एस.सी. और पीएचडी शोधार्थियों ने भाग लिया और रोगों की त्वरित पहचान व रोकथाम हेतु उन्नत प्रयोगशाला तकनीकों का अभ्यास किया।
Reported By: Arun Sharma












Discussion about this post