महान संत, आदिकवि और भारतीय संस्कृति के स्तंभ महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन किया गया। महर्षि वाल्मीकि ने अपनी तपस्या, दिव्य दृष्टि और अद्वितीय ज्ञान से समाज को रामायण जैसा अमूल्य ग्रंथ प्रदान किया, जो केवल एक महाकाव्य नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन है। इसमें धर्म, सत्य, करुणा और मानवीय मूल्यों का अद्भुत संगम है।
महर्षि वाल्मीकि का जीवन आध्यात्मिक जागृति, करुणा और मानवता के उच्च आदर्शों का संदेश देता है। उनकी शिक्षाएँ आज भी हमें कठिनाइयों में धैर्य, विवेक और साधना के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यह जयंती केवल स्मरण नहीं, बल्कि उनके आदर्शों को जीवन में उतारने का अवसर है। यदि हम सत्य, धर्म, करुणा और सेवा जैसे मूल्यों को आत्मसात करें तो न केवल हमारा जीवन समृद्ध होगा, बल्कि समाज और राष्ट्र भी प्रेरणा प्राप्त करेंगे।
परमार्थ निकेतन की ओर से महर्षि वाल्मीकि जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई और कामना की गई कि उनकी रचना रामायण सदैव हमें सत्य, धर्म और मानवता के पथ पर चलने की प्रेरणा देती रहे।
Reported By: Arun Sharma












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