राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में सहकारिता विभाग ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। बीते 25 वर्षों में किसानों, महिलाओं, युवाओं और कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की गईं। मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना और माधो सिंह भंडारी सामूहिक खेती योजना ने सहकारिता को जनांदोलन का रूप दिया।
राज्य में सहकारी समितियों की संख्या 1800 से बढ़कर 6346 हो गई है और सभी पैक्स समितियों का कम्प्यूटरीकरण कर दिया गया है। पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के तहत हजारों युवाओं को रोजगार मिला है। दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के तहत अब तक 11 लाख से अधिक लाभार्थियों को 6957 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा चुका है।
घस्यारी योजना से पहाड़ की महिलाएं चारे के बोझ से मुक्त हुईं, जबकि सामूहिक खेती योजना ने 1235 एकड़ बंजर भूमि को फिर से हरा-भरा बनाया। सहकारी समितियों के माध्यम से स्थानीय उत्पाद अब सेना और आईटीबीपी तक पहुंच रहे हैं।
महिला सशक्तिकरण के लिए सहकारी समितियों में 33% आरक्षण लागू किया गया है। सहकारी बैंकों का एनपीए भी घटकर मात्र 690 लाख रुपये रह गया है। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार पारदर्शिता और सुशासन के साथ सहकारिता को जनांदोलन के रूप में आगे बढ़ा रही है।
Reported By: Arun Sharma












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