परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने संविधान दिवस के अवसर पर देशवासियों को प्रेरणादायी संदेश देते हुए कहा कि यह दिन भारत के गौरवशाली लोकतांत्रिक इतिहास को स्मरण करने का अवसर है। उन्होंने संविधान निर्माताओं तथा उन अमर बलिदानियों को नमन किया, जिनके त्याग, दूरदृष्टि और समर्पण ने भारत को एक अद्वितीय संवैधानिक ढाँचा प्रदान किया।
हरियाणा के स्कूलों से आए बच्चों से संवाद करते हुए स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि “राष्ट्र प्रथम” का भाव हर नागरिक के जीवन का मूल मंत्र होना चाहिए। उन्होंने संविधान को राष्ट्र की धड़कन बताते हुए कहा कि यह केवल कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, विविधता और आदर्शों का सार है। न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत हमें एकता के सूत्र में बाँधते हैं।
स्वामी जी ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को विशेष श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने भारत को सामाजिक न्याय और समानता का मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा, “संविधान तभी सफल होगा, जब जनता उसे आत्मसात करेगी।”
उन्होंने नागरिकों से देशहित, अनुशासन, पर्यावरण संरक्षण और कर्तव्य पालन को जीवन का हिस्सा बनाने की अपील की।
स्वामी जी ने 26/11 हमले का स्मरण करते हुए कहा कि आतंकवाद जैसी घटनाएँ इस बात की ओर संकेत करती हैं कि सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और सतर्कता लोकतंत्र की अनिवार्य आवश्यकताएँ हैं। परमार्थ निकेतन की पावन गंगा आरती इस दिन 26/11 के सभी वीर शहीदों को समर्पित की गई। उन्होंने कहा कि शहीदों का साहस और बलिदान सदैव देश को प्रेरित करता रहेगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यदि हर नागरिक संविधान की मर्यादा का पालन करे, तो एक विकसित, सुरक्षित और समृद्ध भारत का निर्माण निश्चित है।
Reported By: Arun Sharma












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