उत्तराखंड में पारंपरिक फसलों और जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने की मुहिम के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के एक बयान ने नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है। रावत ने कहा कि राज्य के जैविक उत्पादों में अपार संभावनाएं हैं और “मंडुआ से बियर या स्कॉच बनाई जाए तो यह इंस्टेंट हिट साबित हो सकती है।”
हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री
सरकार जहां स्टेट मिलेट मिशन के तहत मडुआ–झंगोरा जैसी पहाड़ी फसलों को प्रोत्साहित कर रही है, वहीं रावत के इस बयान पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। भाजपा प्रदेश महामंत्री तरुण बंसल ने इसे “पहाड़ी उत्पादों का गलत उपयोग” बताते हुए कहा कि उम्र का असर रावत के बयानों में दिखने लगा है।
तरुण बंसल,प्रदेश महामंत्री , भाजपा
दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि रावत का मकसद शराब को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि यह बताना है कि स्थानीय उत्पाद अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रोडक्ट बनने की क्षमता रखते हैं, जिससे निर्यात और अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकती है।
गरिमा दसौनी, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
यह विवाद नया नहीं है। इससे पहले हरीश रावत नियंत्रित तरीके से भांग की खेती को बढ़ावा देने की वकालत कर चुके हैं, जिस पर भी राजनीतिक घमासान हुआ था। अब सवाल फिर वही है—क्या पहाड़ी उत्पादों का इस्तेमाल रोजगार और आर्थिक विकास के लिए हो, या उन्हें केवल स्वास्थ्य और परंपरा तक सीमित रखा जाए?












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