शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में अखिल भारतीय ध्यान योग संस्थान, गाजियाबाद द्वारा आयोजित तीन दिवसीय योग ध्यान कार्यशाला का समापन विश्व शांति यज्ञ और विशेष ध्यान सत्र के साथ हुआ। देशभर से आए साधकों ने मां गंगा के तट पर योग, ध्यान और अध्यात्म की साधना कर आंतरिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया।
समापन अवसर पर स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने शरद पूर्णिमा को अमृत वर्षा और अंतर्मन की शांति का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह रात्रि आत्मा और परमात्मा के मिलन का संदेश देती है तथा हमें करुणा, धैर्य और सेवा जैसे गुणों को जीवन में उतारने की प्रेरणा देती है। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने भी सभी को विशेष ध्यान कराया।
तीन दिवसीय सत्र में प्रतिभागियों ने श्वास नियंत्रण, मानसिक एकाग्रता, प्राचीन योग मुद्राओं और ध्यान तकनीकों का अभ्यास किया। संस्थान के अध्यक्ष कृष्ण कुमार अरोड़ा ने परमार्थ निकेतन के आध्यात्मिक वातावरण को दिव्य अनुभव बताया और हर वर्ष ऐसे आयोजनों में भाग लेने का आह्वान किया।
संस्थान के सचिव ने कहा कि उद्देश्य केवल योग सिखाना नहीं, बल्कि जीवन में संतुलन, शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाना है। आयोजन ने सभी को यह संदेश दिया कि योग और ध्यान प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए।
Reported By: Arun Sharma












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