विरासत महोत्सव में आज की संध्या भारतीय शास्त्रीय कला की समृद्ध परंपरा को समर्पित रही। मंच पर एक ओर जहां प्रसिद्ध कुचिपुड़ी नृत्यांगना अरुणिमा कुमार की मनमोहक नृत्य प्रस्तुति ने दर्शकों को भक्ति की अनुभूति से भर दिया, वहीं दूसरी ओर बेगम परवीन सुल्ताना की गायकी ने संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अरुणिमा कुमार ने सूर्य स्तुति, अर्धनारीश्वर, देव देवम भजे, कलिंग नर्तनम, शिव तरंगम और दुशासन वध जैसे गीतों पर कुचिपुड़ी नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को अभिभूत कर दिया। उनकी अर्धनारीश्वर प्रस्तुति राग मालिका और ताल मालिका में रही, वहीं कलिंग नारायणम थिल्लाना में बालकृष्ण द्वारा कालिया नाग के वध का अद्भुत चित्रण हुआ। उनके साथ कलाकार कोर्नेलिया और बिद्या ने भी उत्कृष्ट नृत्य संगत दी।
कुचिपुड़ी की इस प्रसिद्ध नृत्यांगना को 2008 में संगीत नाटक अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मात्र सात वर्ष की आयु में नृत्य सीखना शुरू करने वाली अरुणिमा ने देश-विदेश के प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुति दी है। वर्तमान में वह लंदन में रहकर कला और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रसारित कर रही हैं।
संध्या के दूसरे सत्र में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की दिग्गज गायिका बेगम परवीन सुल्ताना ने अपनी अद्भुत गायकी से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने राग मारू बिहागप में विलंबित और धृत ख्याल से कार्यक्रम की शुरुआत की, इसके बाद राग मिश्र पहाड़ी में “सैंयां गए परदेस…” ठुमरी प्रस्तुत कर वातावरण को भावनाओं से भर दिया। उनके साथ हारमोनियम पर पंडित विनय मिश्रा, तबले पर उस्ताद अकरम खान और तानपुरा पर खुशी तथा शादाब खान ने संगत की।
पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित परवीन सुल्ताना पटियाला घराने की प्रसिद्ध गायिका हैं। उनकी आवाज़ की गहराई, लय की सटीकता और भावों की विविधता ने आज के दर्शकों को एक अविस्मरणीय संगीत यात्रा पर ले लिया।
आज की यह संध्या विरासत महोत्सव में भारतीय कला की जीवंत झांकी बनी — जहाँ नृत्य और संगीत ने मिलकर भक्ति, सौंदर्य और शास्त्रीय परंपरा का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।
Reported By: Arun Sharma












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