नदियों और जलाशयों को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम लगातार नए प्रयासों की दिशा में बढ़ रहा है। इसी क्रम में अब प्रत्येक जिले में सीवेज से संबंधित एक्शन प्लान तैयार करने और नए प्रोजेक्ट्स की पहचान करने पर जोर दिया जा रहा है। न केवल गंगा, बल्कि उसकी सहायक नदियों और अन्य महत्वपूर्ण जलाशयों, नदियों, झीलों और तालाबों को भी प्रदूषण से बचाने के लिए योजनाएँ बनाई जा रही हैं। इस दौरान यह महसूस किया गया कि जिलों में कोई ऐसा नोडल अधिकारी मौजूद नहीं है, जो जल निगम और जल संसाधन विभाग से जुड़ा हो और इन परियोजनाओं का प्रभावी अनुश्रवण कर सके।
इसी कमी को दूर करने के लिए माननीय सचिव महोदय के निर्देशन में राज्य के सभी 13 जिलों में नोडल ऑफिसर्स की नियुक्ति की गई है। इन अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वे डीपीआर तैयार करें, योजनाओं की निगरानी करें और नए प्रोजेक्ट्स की पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाएँ। नमामि गंगे के निदेशक विशाल मिश्रा ने बताया कि नोडल ऑफिसर्स की नियुक्ति से ज़मीनी स्तर पर निगरानी आसान हो जाएगी। इससे न केवल वर्तमान योजनाओं को सही दिशा में ले जाने में मदद मिलेगी, बल्कि भविष्य के लिए नए प्रोजेक्ट्स भी बेहतर तरीके से तैयार किए जा सकेंगे।
इन परियोजनाओं को भारत सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा और स्वीकृति मिलने पर उन्हें लागू किया जाएगा। इस कदम से उम्मीद है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों के साथ-साथ अन्य जलाशयों को भी स्वच्छ रखने के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी। नमामि गंगे का लक्ष्य केवल गंगा नदी को पुनर्जीवित करना ही नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित और संरक्षित रखना है, और यह नई पहल उसी दिशा में एक ठोस कदम है।
विशाल मिश्रा, निदेशक, नमामि गंगे
Reported By: Arun Sharma












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